1.)
सभी प्राणी मेरे लिए समान हैं
न मेरा कोई अप्रिय है और न प्रिय
परन्तु जो श्रद्धा और प्रेम से मेरी उपासना करते हैं
वे मेरे समीप रहते हैं और मैं भी उनके निकट रहता हूँ।
2.)
ऐसा कोई नहीं
जिसने भी इस संसार मे अच्छा कर्म किया हो
और उसका बुरा अंत हुआ हो
चाहे इस काल में हो या आने वाले काल में।
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